हम जिए जाएँ लम्हें हर शान के मुताबिक़
हर शाम गुज़र जाये अनुमान के मुताबिक़
कुछ ऐसा करिश्मा हो मिट जाएँ भेद सारे
अल्लाह के बंदे चलें भगवान के मुताबिक़
कुछ दिन पढ़ें गीता सभी हम साथ बैठकर
कुछ दिन कदम बढ़ाएँ क़ुर-आन के मुताबिक़
सुबहो भजन सुनाएँ, दिन भर खुशी में झूमें
संझा को सुर सजाएँ, फिर अज़ान के मुताबिक़
दिन में मनाएँ होली रातों में हो दिवाली
पर इनके बीच जी लें रमज़ान के मुताबिक़
राजा हुए किनारे, होने लगे महल के
अब तो हर-एक फ़ैसले दरबान के मुताबिक़
पत्थर में कोई ढूँढ़े कोई प्रेम गली में
ईश्वर मिलेंगे सबको अपने ध्यान के मुताबिक़
This poem has not been translated into any other language yet.
I would like to translate this poem