खुशियो की सहर Poem by Shobha Khare

खुशियो की सहर

चाँद होता है घिरा सितारो के बीच
आप भा गए सबको हजारो के बीच
जान गए दीवाना जिंदिगी के अलावा
है कौन दिल की दीवारों के बीच II

बाग मे उगे फूल है तेरे लिए
उसमे लगे कांटे है मेरे लिए
मेरे लिए आए रात बन के कयामत
खुशियो की सहर लाये तेरे लिए II

Sunday, July 19, 2015
Topic(s) of this poem: life
COMMENTS OF THE POEM
READ THIS POEM IN OTHER LANGUAGES
Close
Error Success