कल तक थे साथ तुम Poem by Anand Prabhat Mishra

कल तक थे साथ तुम

कल तक थे साथ तुम
अब है अकेलापन
तुम थे तो जहां को रंगीन देखा
तुम थे तो जमाने को हसीन देखा
साथ तेरे समंदर भी मीठा लगा
बिना तेरे हर रंग फीका लगा
अब भी जगमगाती है चांदनी रात
अब भी होती है मस्त बरसात
पर मेरा क्या तन्हा अकेला बैठा हूं
वही पुरानी तेरी याद लिए रहता हूं
है आज सब कुछ पर फिर भी है सादापन
कल तक थे साथ तुम
अब है अकेलापन

: -आनन्द प्रभात मिश्रा

Friday, September 27, 2024
Topic(s) of this poem: poetry,hindi
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