Dalal (Hindi) Poem by Malay Roychoudhury

Dalal (Hindi)

दलाल

जहाज में शरीर को बेचने के लिए आप कितने अच्छे आदमी हैं
लंगोटी पर एक लोई का कपड़ा न रखें
सदापोसक कवि शरीर को जहर देता है
जब वे लबादा-नूह खोलते हैं, तो वे अपने हाथों को लॉरी में खींच लेंगे
मध्यरात्रि को लाकापे..... उस समय आप रवींद्रनाथ टैगोर के साथ गा रहे थे

चिह कुल्हुकी, अपना प्यार उठाओ
ज़राता के साथ वहाँ जाओ और वहीं लेट जाओ
याद रखें, चारों ओर मायावी क्लासिक उत्साह का रूप

मैं कुछ भी खिंचाव नहीं कर सकता
शायद टिफ़िनबॉक्स में रोटी और फिटकरी के साथ भुना हुआ
गाना सुनने में, झुक कर और थिरकते हुए
भोर में, आप गंगा के किनारे खड़े हो जाते हैं और उल्टी खड़े हो जाते हैं
अस्पताल में बेडपैक ग्लूकोज की बोतलें उपलब्ध होंगी
सोता हुआ कुत्ता बिस्तर के किनारे बिस्तर के पास पड़ा है

Friday, January 31, 2020
Topic(s) of this poem: love
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