Gazal Poem by Yogendra Pandey Veera

Gazal

तेरी आँखों में कोई नशा है क्या
ऐ चाँद तू आज मुझसे खफा है क्या
कई दिन से मेरी नींद में खलल है
तुझे मेरी राज-ए-मुहव्वत पता है क्या
देवता समझकर जिसे पूजता हूँ मैं
उस पत्थर में भी कोई खुदा है क्या
कल तू मुझसे मुहव्वत उधार लिया था
ये हिसाब डायरी में लिखा है क्या
चिराग़ सलेमपुरी

Sunday, May 15, 2016
Topic(s) of this poem: love
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Yogendra Pandey Veera

Yogendra Pandey Veera

Babhanauli Pandey, Salempur, Deoria, U.P
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