जीता हूँ
तेरी यादों को
ज़ेहन मे तेरी जफा
के इरादों से
इत्तेफाक रखता हूँ
मेरे इश्क से यूं
मु मोड़ कर जाने वाले
मै तो हार के भी
वफ़ा के वादों पर
एतबार रखता हूँ
तू वो तिशनगी है
जैसे जीने के लिए
सांसों सी तलब मे
मै मेरी रूह को मेरे जिस्म के
साथ साथ रखता हूँ
तू रखता है मेरे
एहसासों को
तेरी बेखुदी मे सराबोर
और मै यूं ही
तेरी खवाइश
मे खुद को
तलबगार रखता हूँ
बेहतर होता के काश
तू वो न होता बेवफा
जो मेरे मासूम इश्क को
खिलौना समझे
मै मेरे इश्क को इबादत
और मेरे खुदा को
गवाह रखता हूँ
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