Saturday, August 20, 2016

Poet Comments

Rating: 5.0

अनायास ही लोग पूछते हैं,

क्या दिन के चार शब्द ही बोलता है,
...
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GULSHAN SAHU
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Rajnish Manga 20 August 2016

आपके शब्दों में उस कवि की दास्तान बयान की गयी है जो अपने आसपास के जीवन को देखता है और बगैर किसी लालच के जन जन की पीड़ा को कलमबद्ध करता है. अच्छी कविता है. धन्यवाद. ये बुढ़ी धरती माँ है, इसका दुखड़ा उसका फसाना है।

1 0 Reply
Gulshan Sahu 30 October 2016

bahut bahut dhanyawaad.

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