मै कलमकार हु! Poem by Sachin Singh

मै कलमकार हु!

मै कलमकार हु,
शब्दों के बाण चलाने वाला कलमकार हु।
हर विधर्मी पे करने को वार,
रहते हैं मेरे बाण तैयार।
क्यों, क्योकि मै कलमकार हु,
शब्दों के बाण चलाने वाला कलमकार हु।

मै कलमकार हु!
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