माँ दूर चली जायेगी Poem by Sachin Singh

माँ दूर चली जायेगी

आज फिर घर जाऊंगा,
पर इस बार माँ कुछ नहीं बनायेगी,
माँ मुझे अपने हाथों से कुछ नहीं खिलायेगी,
माँ मेरे साथ साम ढलते मंदिर नहीं जायेगी,
माँ मुझे गाने नहीं सुनायेगी,
माँ बस शांति से लेटी रह जायेगी,
इस बार मै माँ को ले जाऊंगा, माँ को उसके अंतिम बिस्तर पर लेटाऊंगा,
अपने हाथों से अपनी जननी को आग लगाऊंगा,
माँ अब फिर कभी नहीं आयेगी,
माँ मुझे रोता छोड़ कही बहुत दूर चली जायेगी।

माँ दूर चली जायेगी
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