रास्ते जो भी चमक-दार नज़र आते हैं,
सब तेरी आँखों के तार नज़र आते हैं।
कोई तो होगा जो मोहब्बत से समझाए मुझे,
पर तू तो ख़ैर खुद को समझदार नज़र आते हैं।
कहाँ जाऊँ, किससे अपनी शिकायत करूँ,
हर तरफ़ तेरे ही रंगदार नज़र आते हैं।
ज़ख़्म भी अब भरने लगे हैं तेरी यादों से,
फिर मुलाक़ात के आसार नज़र आते हैं।
एक ही बार नज़र पड़ती है उन आँखों पर 'यश',
और फिर जैसे हर ख्वाब हकीकत नज़र आते है।
By - theyashpathak
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