उस डर में Poem by World Poems Otteri Poet

उस डर में

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यह किसी चीज़ का डर है
यह मेरे अंदर से है
क्या आप कुत्ते को देखकर डरते हैं?
या
भूत देखने का डर?
तुम मुझसे डरते हो?
जब तक मैं इसे समझ न लूं
मैं किसी चीज़ के लिए तैयार हूं
डर लगना
यह हो गया है
क्या करें
वह डर किससे आया?
एक ऐसे समुदाय में जो मुझ पर निर्भर है
से है?
क्या यह सिर्फ मेरी कल्पना थी?
प्रश्न अच्छे हैं लेकिन डर है
सदैव सभी मनुष्यों के भीतर
कारण यह है कि यह से है
सब कुछ यहीं
यह अस्थिर है
वो भी खास तौर पर
यह बहिर्मुखी है
हर चीज़ से डर लगता है
इसे खोना ही होगा
साथ ही डर पर काबू पाना होगा
एक जरुरत है...

+ ओटेरी सेल्वा कुमार
25/13, संथियप्पा स्ट्रीट,
ओटेरी,
चेन्नई,
तमिलनाडु
600012

उस डर में
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