यही जीवन है Poem by World Poems Otteri Poet

यही जीवन है

कोई भी
भले ही यह एक पेशा हो
कोई भी
भले ही यह एक खेल हो
इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि आप क्या सीख रहे हैं
बस इसकी आदत डाल लो
जैसे-जैसे आप अपनी आदतों के आदी हो जाते हैं, आपको उनकी आदत हो जाती है
अगर नहीं आता है
तुम्हें यह नहीं मिलेगा
उसे बार-बार समझना चाहिए
वो आदत
जैसे ही आप कार्य करते हैं आपकी जीत होती है
असफल होकर
सिवाय इसके कि वहाँ है
जीत नहीं होती...
और आपका समय
आपका जीवन
जब तक यह बर्बाद न हो जाए
अपने जीवन में
इसे अक्षरशः लें
नहीं कर सकते हैं...
लेकिन...
केवल अनुभव
आपके पास बचा हुआ खाना होगा


+ ओत्तेरी सेल्वा कुमार

Friday, February 9, 2024
Topic(s) of this poem: hindi,poem
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