The Yash Pathak Poems

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1.
भटकता मुसाफ़िर

'ख़्वाबों के दरिया में तैरता हूँ मैं,
हक़ीक़त के किनारों से डरता हूँ मैं।

रात की चाँदनी में राहें आसान लगती हैं,
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2.
आईने का सच

कितनी कोशिश की के चेहरा ना उदास आए मुझे,
फिर भी आईना हमेशा बेनक़ाब आए मुझे।

लोग कहते हैं यहाँ हर दर्द का होता इलाज,
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3.
नज़रें और ख्वाब

रास्ते जो भी चमक-दार नज़र आते हैं,
सब तेरी आँखों के तार नज़र आते हैं।

कोई तो होगा जो मोहब्बत से समझाए मुझे,
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