Dinesh Rahangdale Poems

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1.
माँ

माँ शब्द का भंडार है माँ शब्द महान है
व्याख्यान तो नहीं कर सकते हम पर ये सारा जहान है हम माटी की थी पुतलियाँ,
कोख में अपनी पकाया है प्यार से पाला बढ़ा किया है कर्ज बहूत बकाया है
और क्या कहूँ मैं अब माँ पर नहीं लिख सकता मैं,
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