Dr. Navin Kumar Upadhyay Poems

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21.
वादा है पक्का इसका।

22.
हम करते गुमान

हम करते गुमान अपने ज्ञान पर,
लेकिन अनजान रहते हैं,
हम न समझ पाते अपनीदुनिया,
सदा अज्ञान पालतेहैं
...

23.

हम करते गणपति पद वन्दन।
सब बिधि मँगल करन देव, सकल सिद्धि सुभग सदन ।
गौरी नँदन धारे वेद, लेखनी, दर्शन मँगल सुखमय शरण।
सकृत प्रणाम सुख शान्ति दाता, मुक्ति भुक्ति देत नमन।
...

24.
साल भर पहले, सोचा

26.
सपने में देखा था

28.
रहेगी हर मन में शाँति,

पूछ लिया साँता को एक दिन,
आ जाते मृग रुप धर कर,
भाग जाते छलांग लगाकर,
यहाँ जगत में रहती अशांति,
...

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