हम करते गुमान अपने ज्ञान पर,
लेकिन अनजान रहते हैं,
हम न समझ पाते अपनीदुनिया,
सदा अज्ञान पालतेहैं
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हम करते गणपति पद वन्दन।
सब बिधि मँगल करन देव, सकल सिद्धि सुभग सदन ।
गौरी नँदन धारे वेद, लेखनी, दर्शन मँगल सुखमय शरण।
सकृत प्रणाम सुख शान्ति दाता, मुक्ति भुक्ति देत नमन।
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पूछ लिया साँता को एक दिन,
आ जाते मृग रुप धर कर,
भाग जाते छलांग लगाकर,
यहाँ जगत में रहती अशांति,
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