हो इतनी सुन्दर की Poem by Shubham Praveen

हो इतनी सुन्दर की

Rating: 5.0

हो वो इतनी सुन्दर की आँखों से परख ना उसकी हो पाए,
हो इतनी जवान की बुढ़ापा न कभी छू पाए,

हो वो इतनी सुन्दर के,
योवन बस एक वास्तु हो,
जो वो बदले 60 साल में,
जवानी को भी पीड़ा हो,

बाजू हो उसकी कोमल, सख्त हो मिजाज़ की
हो वो इतनी सुन्दर की छमा जले आयु की।


हो इतनी सुन्दर की ऋतुए लगे पल भर की,
सपना लगे ये जीवन और वास्तविकता हो भीतर की,
जब हो जाऊ मैं बूढ़ा तोह बात कहे वो जीवन की,
माफ़ करे हर भूल वो छोटी, और हंसी उडाये मेरी उपलब्धियों की,
प्रेमिका तो हो मेरी पर माँ बन कर आधिकार जताए,
हो जाऊ मैं कभी उदास, कन्धा दे कर मुझे सुलाए

हो वो इतनी सुन्दर की दुनिया की कुरूपता उसके समक्ष कम पड़ जाये,
स्त्री छोर वो सुन्दर चेतना बन जाये।

हो वो इतनी सुन्दर की मेरा साथ उसका श्रींगार बन जाये!

Tuesday, September 8, 2015
Topic(s) of this poem: beauty,love,lovers,soul,soul mates
POET'S NOTES ABOUT THE POEM
A poet describes his dream girl in ways that he desires her..
COMMENTS OF THE POEM
Rajnish Manga 08 September 2015

प्रेमी के लिए प्रेमिका तथा प्रेमिका के लिए प्रेमी की सुंदरता तभी पूर्णता को प्राप्त होती है जब दोनों साथ साथ हों. कवि की स्वप्न-सुंदरी में क्या क्या गुण होने चाहियें, इसका ज़िक्र भी कविता में बखूबी किया गया है. धन्यवाद. आपने ठीक कहा: हो वो इतनी सुन्दर की मेरा साथ उसका श्रींगार बन जाये!

2 0 Reply
Akhtar Jawad 08 September 2015

Ho wuh itni sunder ke mera sath uska shringar ban jaye. Shuhnam aapne shrigar ras ka itna supyog kiya ke main jhoom utha. Aap ki kalpana itni sunder hay to to awashya aap ki wastvikta bhi kutch kam sunder na ho gi...10

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