कडकती धूप मै मिटटी पर फावडा चलाता हुआ किसान
और उसके शरीर से निकलता पसीना मिटटी को एहसास
दिलता कि बरषा न होने पर भी मै तुमहारे सुखेपन को दूर
करने की आशा तथा यह एहसास कि पानी को नहर टयूबवेल
एवम कुए के पानी से सीचत कर धरती की पयास को शानत कर
उतम बीज तथा खाद का परयोग कर मै लहलहाती फसल उगाना
टेरकटर और खेतीहर मजदूरो की सहायता से पूरण होती है
तब जो खुशी किसान के चेहरे पर होती वह देखते ही बनती है
यह हमें सिखाता है कड़ी मेहनत सफलता की कुंजी है
भगवान भी उनकी मदद करता है जौ अपनी मदद खुद करते है
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