वो तुम्हारे मधुर शब्दों का मेरे दिल को छू जाना।
तुम्हारे अधरों पर खिली मुस्कान जैसे किसी फूल की पंखुड़ी का खिलना।
वो तुम्हारा मुझे एक टूक देखना और पलकों का झुकना।
तुम्हारी नर्म उंगलियो का स्पर्श जैसे एक पल का रोमांच।
वो तुम्हारा अपने केशो को अचानक हवा में लहराना।
तुम्हारी साडी के पलू का धीरे से सरकना
जैसे हिचकोले लेता निर्मल जल।
तुम्हारी नाजुक कलाई में खन करती चुडिया
जैसे कई साजो की ध्वनि का एहसास।
वो तुम्हारे पेरो की पायल की आवाज
सहसा मुझे तुम्हारी और आकर्षित कर लेती है ।
जिसमे सिर्फ और सिर्फ तुम और कोई नहीं।
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