क्यों रुक जाये Poem by Ajay Srivastava

क्यों रुक जाये

वो कहते है अब और नहीं।
हम कहते है अभी तो शुरुवात है।
वो कहते है अब रुक भी जाओ।
हम कहते है अभी तो चले ही कहाँ।
कुछ कदम तो साथ दो।
कुछ तो धैर्य से बात करो।
फिर करना रुकने की बात।
फिर थम जाने के लिए कहना।
हमने तो सुना है वो आलोचना से डरते है ।
पर यह अभी अभी पता चला है वो प्रशंसा से भी डरते है।
क्यों रुक जाये, क्यों थम जाये ।
कारण तो बताओ रुकने के लिए, थमने के लिए ।

क्यों रुक जाये
Tuesday, November 10, 2015
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