मेरे जीवन की धारा बहती चली गई
कभी मंद मंद तो कभी तेज बहाव मे
बहती गई बहती गई
जीवन के कण कण मे जीने का एहसास है
सुख ओर दुख मे जीवन के जसवात है
मेरे जीवन की धारा बहती चली गई
आंखो को नम कर गई वो यादें
अकेला मन जब रोया था
अपनो से दूर जाने का
गम मे डूबा मेरा दिल
अकेला था अकेला था
मेरा साथ देने वाला
मेरे साथ चलने वाला
अब न था अब न था
सपने देखे मैने जो
वे टूट गए टूट गए
शायद जो मेरे बस मे न था
उस पर मैने खुद को कोसा
जीवन के इस डगर मे चलकर
यादों को पीछे छोडकर, गमों को भूलकर
मेरे जीवन की धारा बहती चली गई
चली गई
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