पागलपन Poem by Ajay Srivastava

पागलपन

सत्ता की भूख
कुर्सी की दौड़
धन का लालच
असंतोष की लड़ाई

अनैतिकता को साथ लेकर
अपनों को छोड़ कर
बस थोड़ा सा और
एक अंतहीन दिशा की और अग्रसर

हर मर्यादा को तोड़ कर पा लेने की चाहत
पागलपन नहीं तो और क्या है - आधुनिकता है!

पागलपन
Thursday, November 26, 2015
Topic(s) of this poem: madness
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