आइल बाज़ारवाद भईया,
देखा अइंठत बा कइसे रूपईया.
करय मनमानी अउर अपनय चलावय,
बूढ़वा जवनकन के सबके नचावे,
दुनियां करय ता-ता थईया,
आइल बाज़ारवाद भईया..............................
बड़े-बड़े साधू मह्न्थन देखलीं,
मुल्ला इमाम अउर संतन के देखलीं,
करयलं उ कइसे कमईया,
आइल बाज़ारवाद भईया..............................
होला सरेआम कोखिया क सउदा,
बड़े-बड़े तीसमार बनिग गइलें मऊगा,
घूमेलं इज्जत क खरीदवईया,
आइल बाज़ारवाद भईया..............................
देशवा क हमरे ज़वानी बिकात बा,
आसफ़ आज़ाद क कुर्बानी बिकात बा.
होति हउवे हमरी हिन्ईया,
आइल बाज़ारवाद भईया..............................
हिरोइन उहे अब त बड़की कहावति बा,
कपड़ा उतारि जवन ठुमका लगावति बा,
दादी कहंय देखि दईया रे दईया,
आइल बाज़ारवाद भईया..............................
तोप आ ताबूत में अब होत बा दलाली,
राजनीति कुलटा बजावति बा ताली,
नेता जी काटें मलईया,
आइल बाज़ारवाद भईया..............................
उपेन्द्र सिंह ‘सुमन’
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