सोती उठती जगती थी मैं मृदुल नेह की छावों में.
भटक गया मेरा मन प्रियतम स्मृतियों के गांवों में.
अलकों-पलकों बिंदिया में उलझे दो नयना मतवारे,
कभी रूप की मदिरा पीते करते मुझको कभी इशारे.
रून-झून गीत सुनाती पायल ठुमक रही है पावों में,
भटक गया मेरा मन प्रियतम स्मृतियों के गांवों में.
तेरी यादों के मधुबन में फूल कली भौरें सब न्यारे,
उसके एक-एक पल प्रियतम लगते मुझको बहुत दुलारे.
तुम ही तुम हो याद तुम्हारी झूम रही है भावों में,
भटक गया मेरा मन प्रियतम स्मृतियों के गांवों में.
लोल-कपोल ललित अधरों पर इठलाता है हास्य निराला,
तरी मादक एक छुअन ने बना दिया मुझको मतवाला.
मन मयूर है नृत्य छेड़ता विहंसे चाँद घटाओं में,
भटक गया मेरा मन प्रियतम स्मृतियों के गांवों में.
मंजरियों के झुरमुट में कुहके कोयलिया मतवाली,
दिन में नाचे फाग रंगीला रात खेलती है दीवाली.
गीत सुनाती मधुर रागिनी गली-गली हर ठावों में,
भटक गया मेरा मन प्रियतम स्मृतियों के गांवों में.
बीच भंवर में उलझा मांझी जूझ रहा मझधारों से.
खोज रही हूँ साहिल को मैं यादों की पतवारों से.
तेरी यादें बनीं सहारा जीवन की बाधाओं में,
भटक गया मेरा मन प्रियतम स्मृतियों के गांवों में.
उपेन्द्र सिंह ‘सुमन’
This poem has not been translated into any other language yet.
I would like to translate this poem
A sweet and heart touching poem from the village of memories.................................10 I am thinking to translate this beautiful poem in Urdu or English.
You can read my another poem 'घटाओं का गाँव' based on the same theme. I am sure that you will find it better than ' स्मृतियों के गाँव में' Thanks for your comment and thinking.
You can read my another poem 'घटाओं का गाँव' based on the same theme. I am sure that you will find it better than ' स्मृतियों के गाँव में' Thanks for your comment and thinking.