मैंने अपनी जिंदगी को अपनी आँखों के सामने बर्बाद होते देखा है Poem by Love Prashar

मैंने अपनी जिंदगी को अपनी आँखों के सामने बर्बाद होते देखा है

यु तो जिंदगी मै दर्द बोहत सेहता आया हु
हर दिन मर मर के जीता आया हु
खुद से खुद को पाने की इक लड़ाई मै हर दिन खुद से हारता आया हु
मैंने वफ़ा के दामन से बेवफाई तक के कफ़न का सफर किया है
मैंने अपनी ख्वाईशो को खुद अपने हाथो से दफ़न किया है
जनाब, मैंने इश्क़ को लाचार होते देखा है मैंने हुस्न को बेवजह राज करते देखा है
मैंने अपने मेहबूब को सरेआम किसी और का होते देखा है
मैंने अपनी जिंदगी को अपनी आँखों के सामने बर्बाद होते देखा है

मैंने अपनी जिंदगी को अपनी आँखों के सामने बर्बाद होते देखा है
Wednesday, March 21, 2018
Topic(s) of this poem: dilemma
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