यू ना Poem by Ajay Srivastava

यू ना

यू ना छुपा करो

देखने की चाहत हो जाएगी|


यू ना देखा करो

मुस्कराने की इच्छा उत्पन्न हो जाएगी|


यू ना मुस्कराया करो

दिल को कुछ बोलने की चाहत हो जाएगी|


यू ना बोला करो

दिल से दिल मिलने का एहसास हो जाएगा|


यू ना एहसास दिलाया करो

प्यार की राह बन जाएगी|


यू ना राह बनाया करो

राह पर कदम डगमगने की आशंका हो जाएगी|


यू ऐसा ना किया करो|

यू ना
Thursday, January 7, 2016
Topic(s) of this poem: inspirational
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