डर तो डर है Poem by Ajay Srivastava

डर तो डर है

गलत राह पर चलेगे|
वो तो आएगा ही|
प्रभाव भी अवशय दिखाएगा |
उसका यही स्वभाव है|

आकस्मिक भी होता है|
काल्पनिक भी होता है|
अंतरात्मा में भी है|
पूर्वाभास में भी है|

हॉ यही सच है|
हम क्यो दूर भागे
सामना तो करना होगा
हॉ उसको समझना होगा|

कभी ना कभी यह
हर किसी से मुलाकात
कर ही लेता है|
डर तो डर है

डर तो डर है
Tuesday, January 19, 2016
Topic(s) of this poem: fear
COMMENTS OF THE POEM
Abhilasha Bhatt 19 January 2016

Dar ka saamna karna zaroori h.....nice poem....thank u for sharing :)

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