दिल का स्वभाव Poem by Ajay Srivastava

दिल का स्वभाव

वो कहते है हमे पत्थरो से प्यार है|
हम कहते है हमे आकर्षण से लगाव है|

वो कहते है आकर्षण की उपमा देकर यू ना बनया करो |
हम कहते है वास्तविकता को यू ना जूठलाया करो |

वो कहते है हमे वास्तविकता का उवलोकन करना है |
हम कहते है थोडा सब्र का मजा लिजिए |

वो कहते है अब सब्र नही |
हम कहते है पत्थर को तराशने दे |

फिर देखना पत्थर का आकर्षक रूप |
मूर्ति बोल न उठे फिर कहना |

वो दिखावा करते दिल को छुपाने का
हम कहते है छुपना स्वभाव नही दिल का
धडकना दिल का स्वभाव है|

दिल का स्वभाव
Thursday, February 25, 2016
Topic(s) of this poem: nature
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