रंग में रंगा Poem by Ajay Srivastava

रंग में रंगा

हॉ देखा है रंगो को |
हर रंग की अपनी सुन्दरता है |
वर्षा का रंग सबसेे निराला है |
सूर्य के प्रभावित ईन्द्रधनुष का रंग |
होली या दिपावली के मनमोहक रगं |
हर रगं अपने आप मे अदभुत है |
रंग चाहे फूलो के हो या कृञिम |
आखो के लिए सुखद अनुभव का अहसास है |
यू तो रंग समय के साथ धूमिल हो जाते है |
पर सबसे सुन्दर और स्थायी रंग जो एक बार ईमानदारी से लग जाता हे |
तो वह समय के साथ और निखरता है |
प्यार के रंग में रंगा भारतीय तिरंगा |

रंग में  रंगा
Saturday, February 27, 2016
Topic(s) of this poem: patriotism
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