मीडिया Poem by Upendra Singh 'suman'

मीडिया

😊बेशर्😊
इक गद्दार को अब हीरो बनाता है मीडिया।
खबरों को देखो कैसे भुनाता है मीडिया।

वो कलयुगी कन्हईया जो कंस का अवतार है।
उसको भी अपने सिर पे बिठाता है मीडिया।

ख़बरों की हवस ने इसे हैवान यों बनाया।
अपने ही घर में आग लगाता है मीडिया।

जिसने वतन की आबरू दिल्ली में जलाई।
अब गीत उसके झूम के गाता है मीडिया।

अफज़ल का 'सुमन' जिसने आभार जताया।
उसको वतन का नेता बताता है मीडिया

उपेन्द्र सिंह 'सुमन'

Wednesday, March 9, 2016
Topic(s) of this poem: media
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