कभी हमे भी पसन्द किया करो
हम भी तो खुबसूरत और आकर्षक है|
मासूमीयत मे हम किसी कम नही
तुम्हारी जरूरत का साधन है|
हम तो विरोध भी नही करते
न ही हमारी इच्छाए अनेक|
न ही धर्म के लिए आपस मे लडते
न ही हमे सत्ता व धन का मोह|
हमे तो हमारा जगल ही सबसे प्यारा
ऐ मनुष्य क्यो तुम हमारे जगल छीनते
हमने तो कभी तुम्हारे घरो को छीना नही!
This poem has not been translated into any other language yet.
I would like to translate this poem