तंत्र व मंत्र Poem by Ajay Srivastava

तंत्र व मंत्र

सारी खुशीयॉ अपने पास रख लो|
जन मानस के लिए परेशानी दे दो|

सारा धन अपने पास रख लो|
जन मानस के लिए मेहनत का पाठ पढने के लिए दे दो |

सारे नियमो को तोडने के अधिकार अपने पास रख लो|
जन मानस को नियमो का भय दिखा दो|

स्त्री समस्याऔ को उजागर करने का प्रचार तंत्र द्वारा दिखावा कर दो|
सफलता पूर्वक बडती महगाई और भ्रष्टाचार को बढावा दे दो|

एक दूसरे के गेर कानूनी कार्यो का बचाव करो|
विरोधीयो को चुप व शंति को पा जाऔ|

यही है लोकतंत्र का तंत्र व मंत्र|
यही राज है चारो स्तम्बो की शक्ति का|

तंत्र व मंत्र
Monday, April 25, 2016
Topic(s) of this poem: democracy
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