सदा सुखी रहो हे मित्र, दुआ है मेरी ईश्वर से!
दिन-रात महके जैसे इत्र, हो खुशियॉ तेरे मुकद्दर में!
खिले सदा हि गुलसन तेरा, खिले कलियां तेरे सफर में!
जब भी कोई याद करे तुझे, हो मरहम तेरे मदद में!
मौला मदद करे तेरी, रहे ऊंचा सदा तु सर से!
जब दिल पुकारेगा तुझे, तुम आ जाना मेरे भी हद में!
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एक मित्र और उसकी मित्रता को समर्पित इस कविता में हृदय के सुंदर भाव प्रस्तुत कए गए हैं. लहता है कि मित्र कुछ दिन के लिये या सदा के लिये दूसरी जगह चले गए हैं. मेरे विचार से थोड़ा एडिट करें तो कविता को और प्रभावशाली बनाया जा सकता है. एक सुझाव है: 'दुआ है मेरी ईश्वर से! ' तथा 'मौला मदद करेगा तेरी' दोनों में विरोधाभास है. दोनों जगह एक ही जैसी अभिव्यक्ति होगी तो अधिक उपयुक्त रहेगा. धन्यवाद.
बहुत बहुत धन्यवाद सर.....मैने सुधार करने कि प्रयास किया उम्मीद है कि ये सहि है मौला मदद करे तेरी, .......................... ...........................................................