राम-खुदा! Poem by Ajay Kumar Adarsh

राम-खुदा!

Rating: 5.0

राम बसे तेरे रोम-रोम, करे क्यु भगता शोर!
राम सम्भालेंगे जन्म भुमि, तुम मातृभुमि की डोर! !

खुदा के बंदो ने बनाया, गुम्बद को सिरमौर!
खुदा जले जिंदा जहा, उनको ना कोई ठौर! !


दिल राम से खुदा तक देखा, देखा चारो ओर!
ना अकांक्शा मंगल की ना अमन का जोर! !


खा रहे कोई दूध-मलायी, कोई लिया बिरयानी कौर!
जो लड़े-मरे सब दूर खड़े, आप करे दिवाली हर भोर! !


हम भले ही लड़े-मरे, हमे सीख मिला करोड़!
जो आयेंगे हमे भरकाने, हम उनको देंगे मरोड़! !


हम हिंदुस्तानी हिंदी हैं, है आर्यावर्त मेरा सिरमौर!
लड़े मरें ना भिड़ेगे हम, है दिल से दिल का गठजोड़! !


ना राम ना खुदा होगा, पर भरत-भारत सदा होगा!
ईक भाई अपने भाई से, ना फिर कभी जुदा होगा! !


अब अगर आंखे कोई, राम रहीम को पाला होगा!
भारत ना कोई हिंद नहीं, वो स्वार्थी करम-जला होगा! !

Tuesday, August 16, 2016
Topic(s) of this poem: unity,brotherhood,nation
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Ajay Kumar Adarsh

Ajay Kumar Adarsh

Khagaria (Bihar) / INDIA
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