प्रोत्साहन Poem by Ajay Kumar Adarsh

प्रोत्साहन

Rating: 5.0

आपका प्रोत्साहन मेरा पारितोषक होगा!
कड़ी कठिन कॉटों की डगर पर!
जीवन के हर दुर्गम सफर पर!
प्रोत्साहन रुप बदलकर ही
अदम्य मेरा साहस होगा!


जीवन है तो संघर्ष चलेगा!
सुख-दुख का कोई फल फलेगा!
दो रूप ही यह दिखलायेगा!
साहस सीना चीर कर इक दिन
जहॉ ज्वलित कर जायेगा!


सुख मिला या दुख मिला
कौन याद इसे रख पायेगा?
बिषम विपरीत विपन्नता में भी
जो साहस दिखलायेगा!
आने वाला कल भी उसी को
नमन वीर कह जायेगा!


इन शब्दो में क्या रखा है?
ये तो कोई कहानी है!
जब जीवन उफान लिया
ये तो बस वही पानी है!


ऑखों से बहाये दुनियॉ जिसको
मैं कागज पर उसको ढाल गया!
जो कमज़ोरी बन जाये किसी की,
मैंने उसको तलवार किया!

Thursday, August 18, 2016
Topic(s) of this poem: life,struggle
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Ajay Kumar Adarsh

Ajay Kumar Adarsh

Khagaria (Bihar) / INDIA
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