कामियाबी Poem by Dr. Sandeep Kumar Mondal

कामियाबी

चख कर देखो कभी तुम,
की बहुत मीठी होती है कामियाबी I
जो कहते हैं बहुत चख लिए,
वो झूटी होती है कामियाबी I

हर्ज़ाना भर कर ज़िन्दगी का,
मिलती है जो कामियाबी,
रोते हैं लोग जिसपर,
क्या सचमुच होती है कामियाबी?

किस्मत की राह ताके,
ढूंढे से मिल जाती वो,
जो ना ही दे तकलीफें
तो कैसी है ये कामियाबी I

काले अनकहे रास्ते पर,
धुंद की चादर ओढ़े,
बैठी है जो दुबक के,
देखो है वही कामियाबी I

किस्सा जो लिखती जाए,
मिसालें तेरे नमन की,
सियाही की शक्ल समय के,
कलम की है ये कामियाबी I

जो फिर भी हो झिझक,
तो सुन लो इस ज़हन की,
जो दिल भी हामी भर दे,
तो है वही कामियाबी I

Friday, October 28, 2016
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Dr. Sandeep Kumar Mondal

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dhanbad, jharkhand
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