आँखों से तेरी छलकता है इश्क,
बन गीत लब पर थिरकता है इश्क,
काली घटा सी जुल्फें है तेरी ये,
जुल्फें देख तेरी सवँरता है इश्क,
हम हो गये तेरी नज़र से कत्ल,
इस कत्ल में भी झलकता है इश्क, ,
है चाल हिरणी सी तेरी, बल खाती,
सज धज के राहों पे निकलता है इश्क,
नगमा "मनी" बन जा तू, मेरे दिल में,
तेरे लिये मेरा धडकता है इश्क, ,
मनिंदर सिंह "मनी"
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प्रेम और प्रिय के सौंदर्य की बहुत आकर्षक अभिव्यक्ति. प्रभावपूर्ण भाषा व शैली. Thanks.