स्वीकारते तुम भी नहीं, हम भी कहाँ मानते है।
आप अपना कर्म करते, हम अपना कर्म करते है।
तुम भी इंसान हो हम भी वही इंसान है।
एक दूजे को छोटा दिखाने की इच्छा।
तुम भी त्याग नहीं पाते हम भी नहीं त्यागते।
अपने को टटोलने की कोशिश तुम भी नहीं करते और हम भी नहीं करते।
आप भी गलती करते है हम भी गलती करते है।
पर एक बात तो है हम दोने ही अहम से दोस्ती कर बैठते है।
यू दिल को उदास कर लेते है बैठे बैठे दीवार बना लेते है।
यु तो आप भी बुरे नहीं, हम भी बुरे......नहीं।
This poem has not been translated into any other language yet.
I would like to translate this poem