जीवन की आँखों की पहली ज्योति
जिसमे करुन रस झलकता है,
माँ पर्वतो में कैलाश है
जहाँ ब्रह्माण्ड थिरकता है
माँ मन की धुन्धली का उजियारा है
माँ प्रथम किरण, भौर का तारा है
माँ का स्पर्श सब रोगों को हरता है
माँ के स्तन की एक बूँद को
श्रीहरी तरसता है
माँ ग्रंथो में गीता है
नदियों में गंगा यमुना
माँ खेतो की हरियाली सी
माँ झरनों की ताली सी
माँ पारिवारिक माला का धागा है
माँ संग है जिसके वह विश्व विजय शहजादा है
माँ आंगन की तुलसी है
गर्मी की ठंडी छाया है
उसके बिन मेरी मिशाल
और काया है।
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