sanjay kirar

sanjay kirar Poems

प्रिय तुम्हारी दृष्टि ने जब मेरी ओर निहारा,
मैं जैसे अवाक रह गया बन गया दास तुम्हारा।

जीवन के ताप लिये मैं तो खड़ा हुआ था रण में,
...

Oh, little child come in the world
everyone are waiting to you
how will you see
how will you play on the bad
...

ateet ke panne fat gaye
likhaba samaj nahi aati
nakhus chehre har panno par
khusi najar nahi aati..............
...

Suni galiyo main, viywano ke naksho par,
pahli kavita mujhe bulati hai
rochak tathyo me ghulmilkar,
nav jivan path padati hai
...

उमड़ कर दिल की गलियों से
उतर कर फूल कलियों से
हम चले हम चले
कुछ कर गुजरने
...

Ek Pal Maan Ke Santh

maan tu kyo udhas hota hai,
jabki koi tere aas-paas hota hai,
...

Dekhkar bo mujhe hairan thi,
me masalo sa jal raha tha,
wo diye si pareshan thi,

bah vakt gujar gaya,
...

वर्तमान स्थिति
कुछ उबलता रहा, जलता रहा
कहाड़ों मे फुदकता रहा,
आह! कैसी पीड़ा,
...

एक ओ' मशाल

मेरी आवाज़ में चिंगारी पैदा हो,
चाहता हूँ ऐसा हो
...

ये! काश

नियमावली में एक नियम ऐसा होता
...

एक अलसाई शाम
लहरे करवटे बदल रही थी
इन बाँहों के गोले में
खिल गया था ये मातमी चेहरा
...

जीवन की आँखों की पहली ज्योति
जिसमे करुन रस झलकता है,
माँ पर्वतो में कैलाश है
जहाँ ब्रह्माण्ड थिरकता है
...

काँटों से भरे जीवन में जो लेकर आया नए मोती
साँझ से पथ पर सुधा की लाया जो नई ज्योति
जीवन के नए व्याकरण जिसने खुद को तज कर बनाये

मेरे साथी तुझे में भूल जाऊ भला कैसे
...

तुमको देख के अंतर मेरा, कुछ ऐसे व्याख्यान करे।
वर्षों बाद मिली है गंगा, संगम तट मन स्नान करे।

दृश्य बिना प्रिय के था मन, भूले पथ पर फेंका कंकड़।
...

totle bol bahkne lagte hai,

chudio ki basi khank sunkar
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प ् य ा र ा ब च प न
आ म क ी ड ा ल ी प र झ ू ल ा झ ू ल त ा ब च प न
च क ् क र ए क द ो य ा क भ ी प ू र े छ प ् प न
इ ठ ल ा त ी ह ं स ी द ो ड ़ त ी भ ा ग त ी ,
...

त ब म ु झ स े म ि ल न ा
त ब म ु झ स े म ि ल न ा

क भ ी र ा त क ो न ी द ट ू ट े ,
...

जल रहे है पल "दधीची", सब दिशाएँ मौन है क्यों,
आदमी ही आदमी से पूछता फिर कौन है तू?
मुर्गियों के पर सरीखे जेब खींचे जा रहे है,
घाट पर जलती चिता में प्राण खोजे जा रहे है।
...

1) समझौतों की शर्त पर, जन्म पा रहे "आज"।
कई दफ़ा पापा हुये, हमसे ही नाराज।

2) सांझ का दरवाजा हमें, देता यही पुकार,
...

सभ्यतायें सहज-प्रेम न कर सकीं,
माँग सूने समय की न वह भर सकीं! !
रुक्मणी को सदा सुख मिले स्वर्ग के,
राधिकाएँ तो बस साधना कर सकीं ॥1॥
...

sanjay kirar Biography

The Poet's Library)

The Best Poem Of sanjay kirar

Prem Geet

प्रिय तुम्हारी दृष्टि ने जब मेरी ओर निहारा,
मैं जैसे अवाक रह गया बन गया दास तुम्हारा।

जीवन के ताप लिये मैं तो खड़ा हुआ था रण में,
लेकिन तुमने नज़रों से ताप हर लिये इक क्षण में।
प्यासे अधरों को मिला हो जैसे जल का मात्र सहारा,
मैं जैसे अवाक रह गया बन गया दास तुम्हारा॥

मेरी सारी करुण कथाएँ रागों ने आ-आकर चूमीं,
सारी कवितायें सरल हो गई जैसे ही तुमने छूली।
कला पक्ष के साथ भाव पक्ष का भी मिला किनारा,
मैं जैसे अवाक रह गया बन गया दास तुम्हारा॥

sanjay kirar Comments

sanjay kirar Quotes

सभ्यतायें सहज-प्रेम न कर सकीं, माँग सूने समय की न वह भर सकीं! ! रुक्मणी को सदा सुख मिले स्वर्ग के, राधिकाएँ तो बस साधना कर सकीं ॥1॥ सञ्जय किरार

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