इंतज़ार वाली चाय! Poem by Hemant Gautam

इंतज़ार वाली चाय!

अगर इंतज़ार मैं हो मेरे
तो एक प्याली चाय बनाकर मुझे याद कर लेना ||

अगर मेरा गुस्सा वाला चेहरा देखना हो तो चाय का रंग बदल देना
चाय पत्ती नहीं अपना नूर उसमें मिला देना

अगर इंतज़ार मैं हो मेरे
तो एक प्याली चाय बनाकर मुझे याद कर लेना ||

युंह चाय मैं मिठास कम ही रखना
अगर कम लगे तो अपने लबों से ला देना

अगर इंतज़ार मैं हो मेरे
तो एक प्याली चाय बनाकर मुझे याद कर लेना ||

ऐसा है, चाय में अदरक और इलाइची बड़ा ही देना
और कम लगे तो हमारी सारी शिकायतों
और अनबनों को कूट कर मिला देना

अगर इंतज़ार मैं हो मेरे
तो एक प्याली चाय बनाकर मुझे याद कर लेना ||

सुनो, ध्यान से चाय मैं उबाल ले आना और
तब तक, हमारी कुछ खट्टी मीठी यादों को
उस समय के अंतराल याद कर लेना

अगर इंतज़ार मैं हो मेरे
तो एक प्याली चाय बनाकर मुझे याद कर लेना ||

युंह गर इंतज़ार खत्म हो ही गया हो तुम्हारा
तो एक काम करना
एक प्याली चाय की मेरे लिए भी बना ही देना

इंतज़ार वाली चाय!
Friday, October 25, 2019
Topic(s) of this poem: love and life,poem
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