सोचा इक ग़ज़ल तुम्हारे नाम लिख दूं Poem by Talab ...

सोचा इक ग़ज़ल तुम्हारे नाम लिख दूं

सोचा इक ग़ज़ल तुम्हारे नाम लिख दूं
हाल ए दिल क्या है सर ए आम लिख दूं

सियाही से निखरते नहीं कभी जस्बाद
खून ए दिल में डुबोकर सुबह शाम लिख दूं

किसीके काम तो आए ये आरस ज़िन्दगी
कहो वसीयत में आपके नाम लिख दूं

हर ज़ुल्म ख़ामोशी से सहे हैं आपके
कहो आज चीक चीक कर तमाम लिख दूं

कल रात आया था ख्वाब में इक फरिश्ता
कहो तलब नई तक़दीर तेरे नाम लिख दूं


आरस= useless

Wednesday, April 5, 2017
Topic(s) of this poem: love and life
COMMENTS OF THE POEM
READ THIS POEM IN OTHER LANGUAGES
Close
Error Success