बढ़ता चल पथ पर Poem by Kezia Kezia

बढ़ता चल पथ पर

अपने डर से तू ही जीत पायेगा
अपने डर के आगे तू ही टिक पायेगा
मत देख राहों के काँटे
वो तो तकदीर ने सबको बाँटे
उनसे बच के निकल नही पायेगा
उनसे लड़ कर ही जीत जाएगा
राह के मुसाफिर गर
हार कर बैठ जाएगा
फिर तुझे मंजिल तक
कौन पहुँचाएगा
कोई नही आंसू पोछेगा
कोई नहीं पानी पूछेगा
चलना है तो बढ़ता चल
अपने डर को छलता चल
हिम्मत करके आगे बढ़
निरंतर तू बस चलता चल
अपने डर से बाहर निकल
डर से मत डर
डर से डट कर मुकबला कर
मत डर दुश्मनों से
बढ़ता चल पथ पर
बढ़ता चल और बढ़ता चल
अपने डर से तू ही जीत पायेगा
अपने डर के आगे तू ही टिक पायेगा
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Sunday, May 28, 2017
Topic(s) of this poem: bravery
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