मनचलों का गरूर…होगा चकनाचूर.! ! Poem by Advo.RavinderRavi Sagar

मनचलों का गरूर…होगा चकनाचूर.! !

Rating: 5.0

वक़्त करवट लेता है,
और लेगा भी ज़रूर.!
देखना होगा चकनाचूर,
मनचलों का गरूर.! !
कब तक पिसेगी नारी,
इन शोहदों से हज़ूर.!
खुदा एक दिन इनकी,
दुआ करेगा मंज़ूर.! !
नशेमन बेख़ौफ़ हैं जो,
उतरेगा इनका सरूर.!
जब नारी हो जायेगी,
अपने हितों से सरोबूर.! !

मनचलों का गरूर…होगा चकनाचूर.! !
Thursday, June 8, 2017
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