कैसे समझाऊँ उन को इस दिल की हालत.!
नहीं बात करती तो दुनियां सूनी-सूनी लगती.! !
धड़कने रुकने को होती सांसें बेज़ार दिखती.!
अर्थी सपनों में और मौत सामने खड़ी लगती.! !
अरे कुछ तो तरस खाओ हसीनों का प्यारा हूँ.!
दिल आप पर हारा इतनी खुन्नस क्यों रखती.! !
सखियों ने कसम दी या सब तड़पाने खातिर.!
इतने बुरे तो नाचीज़ की शायरी क्यों पढ़ती.! !
इक दिन पच्छ्ताओगे याद करोगे'सागर"को.!
तन्हाई में रोओगे क्यों मैं प्यार नहीं थी करती.! !
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