डर Poem by Ajay Srivastava

डर

तुम प्यार और बेफाई दोनो से डरते हो
हम तो न प्यार
ना ही बेफाई डरते
डर तो हमे हमेशा पहचान से लगता है 11

आपको मिलने की इच्छा होती है
और बिछोह का भय होता है
हमे तो मिलने की इच्छा को जग1ने और
दिल मे बसाने का भय होता है 11

क्यों कि हमारी पहचान व इच्छा
सक्षम और स्थायी होती है
जो एक बार समा जाए
तो फिर कही और जा ही सकता 11

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