उडान Poem by Ajay Srivastava

उडान

सपनो की उडान मे
हवा के थपेडो से
कभी एक दिशा
तो कभी दूसरी दिशा
और फिर हवा का तेज झोका
पीछे धकेलता व गिराता 11

मनोबल को चकनाचूर कर
दिल से मानो यहँ कहता
बस अब नही
विराम लगा दो अपने सपनो को 11

पर अगले ही पल काले बादलो समूहँ
और उसमे से निकलती
जोर से आवज मे बिजली
देखते ही देखते न जाने कब
वर्षा की बूंद ने सारे वातावरण
को हरा भरा कर दिया
मानो यह कहँ दिया
फिर एक कोशिश कर
अपने सपनो को साकार रूप दू 11

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