गले में दमकती मनकों की माला,
मनकों के इस छोर से उस छोर तक
गुजरता पतला सा तागा।
कौन याद रखता तागे के सफर को?
मनकों की सुंदरता लुभाती हर मन को।
सफर में रहते ऐसे कई तागे
मनकों को बाँध के रखते,
माला की सुंदरता बढ़ाते,
पर छिप जाते मनकों के पीछे।
ऐसे अदृश्य हो जाती
तागे के सफर की कहानी,
जब टूटकर बिखरती मनकों की माला,
तब पता चलती तागे की अहमियत,
और सफर की कहानी।
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