जो बोएगा सो पाएगा Poem by Sukhbir Singh Alagh

जो बोएगा सो पाएगा

मत कर इतना गुरूर तू
मिट्टी में मिल जाएगा।
ऐसा हाल होगा तेरा
खुद को भी पहचान न पाएगा।
ये पैसा और ये ऐशो आराम
सब यही पर रह जाएगा।
"सुखबीर" आगे तो सिफारिशें भी नहीं चलेगी
जो बोएगा सो पाएगा।

Thursday, August 17, 2017
Topic(s) of this poem: life and death
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