साक्षात्कार Poem by Ajay Srivastava

साक्षात्कार

हाँ होता है
जो चाहाता है नही होता
जब सपने दूर आकाश की
ऊचाइओ से टकराकर
जमीन पर बिखरे नजर आते है 11

जब उदासी के बादलो मे
अपने आप को पाते है
हर कोशिश असफल हो
लोट आपके पास की तरह
खडी जेसे पूछ रही हो 11

आखिर क्या कमी रह गयी
और कमी नजर न आए
तब असहनीय कष्ट होता है
और सोचने पर विवश कर देता
तब होता है सत्यता से साक्षात्कार 11

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Ajay Srivastava

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