मेरी बहू और मेरी बेटी Poem by Sharad Bhatia

मेरी बहू और मेरी बेटी

Rating: 5.0

मेरी बेटी", मेरी बेटी कैसे कहूँ,
वो तो "मेरी बहू" हैं ।।

"मेरी बेटी" तो "मेरी बेटी" हैं,
पर "मेरी बहू" को "मेरी बेटी" कैसे कहूँ,
क्यूंकि वो तो मेरी बहू हैं ।।

मेरी बहू और मेरी बेटी
Saturday, June 6, 2020
Topic(s) of this poem: daughters
COMMENTS OF THE POEM
Rajnish Manga 06 June 2020

मित्र, क्या इतने मोटे फॉण्ट का टेक्स्ट (चित्र) आपको अच्छा लग रहा है?

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Rajnish Manga 06 June 2020

भारतीय परिवारों की दोहरी तथा दकियानूसी मानसिकता को दर्शाती एक सुन्दर रचना. विश्वगुरू भारत की कडवी सच्चाई.

0 0 Reply
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